Tuesday, August 28, 2018

ब्लॉग: 'विकलांग लड़की के बलात्कार से किसी को क्या मिलेगा!'

बलात्कार का शिकार हुई एक विकलांग लड़की से जब मैंने पहली बार बात की तो उसने मुझे बताया कि उसके लिए उस हिंसा से भी ज़्यादा दर्दनाक था कि कोई ये मानने को तैयार नहीं था कि एक विकलांग लड़की का बलात्कार हो सकता है.
पुलिस, पड़ोसी और ख़ुद उसका परिवार उससे पूछ रहा था कि, "विकलांग लड़की के बलात्कार से किसी को क्या मिलेगा?"
उसका सामूहिक बलात्कार हुआ था. लड़की के मुताबिक उसके पड़ोसी और उसके दोस्त ने उसे कोल्ड ड्रिंक में कुछ मिलाकर दे दिया और जब उसे होश आया तो वो एक गली में अधनंगी अवस्था में पड़ी थी.
आख़िर पुलिस ने शिकायत दर्ज की और अब मुक़दमा चल रहा है.
विकलांग लड़कियों के ख़िलाफ़ यौन हिंसा के मामलों में ज़्यादातर उनके जाननेवाले ही उनका विश्वास तोड़ते हैं.
जैसा देहरादून के 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ विज़ुअली हैंडीकैप्ड' (एनआईवीएच) में हुआ. यहां के 'मॉडल स्कूल' में संगीत पढ़ा रहे एक अध्यापक पर छात्राओं ने यौन हिंसा के आरोप लगाए हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक की रिपोर्ट, 'वर्ल्ड रिपोर्ट ऑन डिसएबिलिटी' (2011) के मुताबिक, आम औरतों और विकलांग मर्दों के मुकाबले विकलांग औरतों की शिक्षा और रोज़गार की दर कम और हिंसा का शिकार होने की दर ज़्यादा है.
रिपोर्ट के मुताबिक विकलांग औरतें बाहरी दुनिया के बीच ख़ुद को ज़्यादा असुरक्षित पाती हैं. यही उन्हें शिक्षा और रोज़गार से दूर रखता है.
उनकी पढ़ाई-लिखाई, रोज़गार वगैरह परिवारों के लिए कम अहमियत रखता है. ख़ास तौर पर जब सोच ये हो कि उन्हें बाहर भेजने का मतलब है हिंसा की संभावना और अपनी ज़िम्मेदारी बढ़ाना.
विकलांग औरतों से बात करें तो वो समझाती हैं कि यौन हिंसा का ख़तरा उनके लिए बेशक़ ज़्यादा है पर ऐसा भी नहीं कि पूरी दुनिया उन्हें वहशी नज़रों से देखती हो.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही श्वेता मंडल ने बताया कि उनके अनुभव में ग़ैर-विकलांग लोग बहुत संवेदनशील होते हैं, जो विकलांग लोगों के लिए बहुत ज़रूरी भी है.
श्वेता ने कहा, "हमें मदद चाहिए, इसमें कोई दो राय नहीं, और वो मिलती भी है, ग़ैर-विकलांग लोगों पर ये विश्वास हमारी ज़िंदगी का बहुत अहम हिस्सा है."
एनआईवीएच में भी इसी विश्वास के चलते छात्रों को दरवाज़े और खिड़कियां खुली रखने की सलाह दी जाती है.
पर यौन हिंसा के आरोप सामने आने के बाद 'नेशनल प्लेटफ़ॉर्म फ़ॉर द राइट्स ऑफ़ द डिसएबल्ड' (एनपीआरडी) की दो सदस्यीय टीम ने जब संस्थान का दौरा किया तो उन्हें छात्राओं ने बताया कि वो संस्थान में असुरक्षित महसूस करती हैं.
संस्थान के स्टाफ़ में काम कर रहे मर्द बिना बताए हॉस्टल में दाख़िल हो जाते हैं. बाथरूम के दरवाज़ों पर भी चिटकनियां नहीं लगाई गई हैं.
छात्राओं ने यहां तक कहा कि जब उन्होंने प्रिंसिपल और वाइस-प्रिंसिपल को यौन हिंसा की शिकायत की तो उन्होंने पलटकर लड़कियों को ही तमीज़ के कपड़े पहनने की सलाह दे दी.
ये तब जब संस्थान में ये मुद्दा पहली बार नहीं उठा है. छात्र-छात्राओं ने अप्रैल में इस अध्यापक समेत संगीत सिखानेवाले एक दूसरे अध्यापक के ख़िलाफ़ यौन हिंसा के आरोप लगाए थे.
तब भी हड़ताल हुई थी जिसके बाद दूसरे अध्यापक तो गिरफ़्तार कर लिए गए पर ये अध्यापक अब तक पढ़ा रहे थे.
पॉक्सो ऐक्ट के तहत कोई नाबालिग अगर यौन हिंसा के बारे में किसी अधिकारी को बताए और वो व्यक्ति उसका संज्ञान ना ले तो ख़ुद उस पर कार्रवाई हो सकती है.
क्या संस्थान और स्कूल के बड़े पदों पर बैठे निदेशक, प्रिंसिपल इत्यादि के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी?
'राइट्स ऑफ़ पर्सन्स विद डिसएबिलिटीज़ ऐक्ट' के तहत, ओहदे और ताक़त का ग़लत इस्तेमाल कर किसी विकलांग व्यक्ति के साथ यौन हिंसा करना दंडनीय अपराध है.
तहक़ीक़ात शुरू हो गई है. परत-दर-परत पता चलेगा कि इस घटना में विश्वास किस-किस स्तर पर टूटा होगा.
मुझे फिर उस बलात्कार पीड़िता की बात याद आई. बलात्कार या यौन हिंसा तो दर्दनाक होती है, ख़ास तौर पर जो विश्वास के पात्र लोगों के हाथों हो.
पर उसके बाद की लड़ाई में भी विश्वास के पात्र लोगों का साथ ना मिलना, कुछ और गहरी चोट छोड़ देता है.

Wednesday, August 15, 2018

避免灾难性气候变化 为何仍需更大努力?

去年12月,各国成功在巴黎达成气候变化协议;而今天,预计将有至少150个国家的代表齐聚纽约,参加《巴黎协定》的高级别签署仪式。

《协定》建立了一个旨在限制全球平均气温上升的新型框架,是各国对抗气候变化进程中迈出的重要一步。

但如果在2020年之前,各国不能在实质上提升抗击气候变化的决心,《巴黎协定》面临着在完全生效前就惨遭破坏的风险。

由于目前各国的减排承诺远没有达到《协定》目标的要求,未来五年将会至关重要。

即将召开的G7和G20峰会应该为强化各主要排放国2020年之前的减排决心奠定基础。

新制度在灵活性和包容性方面有着很多优点。《巴黎协定》建立了具有法律约束力的框架,到2020年,只要有不少于55个国家加入、且其温室气体排放量占全球排放总量不少于55%,这一框架就将生效。签约仪式是《协定》生效过程中非常重要的第一步。

《协定》还确立了新的长期目标,即“确保全球平均气温较工业化前水平升高幅度控制在2摄氏度之内,并力争将升温控制在1.5摄氏度之内”。

这是各国首次就升温幅度控制在1.5摄氏度的问题达成一致。对于低洼岛屿等最易受到气候变化影响的国家而言,这是关系到国家未来存亡的大事。

同时,新制度也复杂混乱,且缺乏统一标准;虽然各国在巴黎大会上提出的自主贡献较之从前是一个很大的提升,但目前减排承诺总量和控制气温上升不超过2摄氏度所需的减排量之间仍存在很大差距,且这一差距还将持续扩大。


一项分析显示,如果目前的减排承诺量保持不变,那么排放差距就将从目前的每年约30亿吨二氧化碳当量(GtCO2e)增长至2025年的每年约110亿吨二氧化碳当量,这一数字甚至超出了目前中国的排放量。

因此,为了提高长期目标达成的可能性,2020年《巴黎协定》生效之时,各国应大幅提高各自的减排目标。

各国代表还一致同意从2018年起建立一个“能够促进对话的机制”,作为达成上述目标的一项核心工作,为各国提供机会重新审核自身的自主贡献,从而确定到2020年之时是否将扩大贡献额或者保持不变。

各国提升2020年之前减排决心的工作并不均衡。中国宣称自己的减排量预计将超出2020年目标的要求,甚至有望超出其2030年的贡献额。

但欧盟委员会关于“巴黎大会之后”的交流实际上忽视了2020年以前的机会,其制定的计划可能会保持2030年的减排目标不变直至期满。日本也因减排决心过低而遭到诟病,
一些预测显示,日本在巴黎大会上提出的自主贡献额度如此之低,以至于几乎无需出台任何新的政策就能达成。

美国能否提升自己的减排决心尤为重要,原因在于美国的自主贡献将于2025年到期(其他主要国家的期满时限均为2030年),国际社会已经在“敦促”美国提交2030年的减排目标,从而与其他国家保持一致。

鉴于主要经济体之间存在竞争,因此,一些国家应共同进退,减少其他国家借机“搭便车”的机会。因此,美国推出新的国家自主贡献有助于激励各国之间的协同努力。

我们不应该轻视这些挑战,但这也并不意味着希望全无。

低碳技术的成本正在下降;2015年,全球可再生能源吸引了近2860亿美元的投资,该行业的新增产能首次超越化石燃料行业。技术和实体经济的发展有可能推动外交工作的进一步深入。

同样地,其他类似G7和G20峰会这样的国际会议也应采取具体措施,鼓励各国在2020年之前提高自身的减排决心。

未来三年间,中国、德国和印度将分别主办G20峰会,而G7峰会则将在日本、意大利和加拿大召开。

这些东道主国家可以按照《巴黎协定》的要求,优先推动建立“减少温室气体排放长期发展战略”。

各主办国还可以采取措施,加大新技术研发的公共资金投入,考察研究成果奖等创新机制的使用情况,同时推进市场承诺,鼓励私营部门投资。

此外,G7和G20峰会可以为主要排放国提供平台,让他们能够讨论共同的目标,为各国在2020年之前达成新的自主贡献奠定外交基础。

在纽约举行的签约仪式是庆祝《巴黎协定》顺利达成的重要时刻,也是朝着落实《协定》迈出的第一步。但接下来,出席仪式的各国首脑必须彰显出同样的领袖风范,采取措施保证本国朝着控制气温上升不超过2摄氏度的减排目标进发。