Thursday, November 21, 2019

असदुद्दीन ओवैसी: हैदराबाद की छोटी सी पार्टी को देशभर में कैसे दिलाई पहचान

तीखे व्यंग्य भरी यह भाषा है ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की जो इसी तरह के बयानों और तेज़-तर्रार भाषणों के लिए जाने जाते हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब नाम लिए बिना उनपर निशाना साधा तो ओवैसी ने इस अंदाज़ में जवाब दिया.
पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कार्यक्रम के दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि "एक राजनीतिक पार्टी है जो बीजेपी से पैसे ले रही है. वो पश्चिम बंगाल से नहीं बल्कि हैदराबाद से है."
चूंकि एआईएमआईएम और इसके प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मूलत: हैदराबाद से हैं तो यह माना गया कि ममता का निशाना उन्हीं पर है. असदुद्दीन ओवैसी ने भी जवाब देने में देरी नहीं की. एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, "ममता बनर्जी की ज़ुबान पर मेरा नाम आया, इसके लिए
ओवैसी ने अल्पसंख्यकों को बांटने के आरोप पर भी पलटवार किया और कहा कि "आजकल हर कोई हमें ही ज़िम्मेदार मान रहा है, लेकिन ये नहीं जानते हैं कि मुसलमान
ममता बनर्जी का बयान और असदुद्दीन ओवैसी का बयान ऐसे समय में आया है जब एआईएमआईएम पश्चिम बंगाल में 2021 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान कर चुकी है.
पश्चिम बंगाल की सीएम के निशाने पर अक्सर लेफ़्ट और बीजेपी रहा करते थे मगर यह पहला मौक़ा है जब उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से एआईएमआईएम पर निशा
असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन की रैलियों में ख़ूब भीड़ जुटा करती है. इसके इतर भी उनके प्रशंसकों और आलोचकों, दोनों का ही एक बड़ा वर्ग है.
असदुद्दीन ओवैसी की ओर से संसद के अंदर, समाचार चैनलों की चर्चाओं में और राजनीतिक रैलियों में दिए गए भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर भी ख़ूब देखे जाते हैं. फ़ेसबुक पर उनके नाम से कई अनाधिकारिक पेज बने हैं जो उनके भाषणों के वीडियो शेयर करते हैं.
ओवैसी बंधुओं और एआईएमआईएम के नेताओं पर भड़काऊ भाषणों से सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं. मगर पार्टी के समर्थक इसे भारतीय जनता पा
एआईएमआईएम और ओवैसी परिवार की राजनीति पर नज़र रखने वाले हैदराबाद में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार उमर फ़ारूक़ कहते हैं, "एक वर्ग का कहना है कि ओवैसी लोकसभा हो या आम मंच, वहां पर वे मुसलमानों की समस्याओं से जुड़े सवाल उठाते हैं. जैसे कि आज़ादी के इतने साल गुज़र जाने के बाद भी मुस्लिम शिक्षा और आर्थिक पहलू पर इतना पिछड़ा क्यों है? मुस्लिम युवाओं को ये बात पसंद आती है कि उनकी भावनाओं को आवाज़ दी जा रही है."
हालांकि, विश्लेषकों का यह भी मानना है कि हाल के दिनों में अल्पसंख्यकों के मामलों पर जिस तरह से ओवैसी खुलकर बात कर रहे हैं, उससे भी उनकी अलग पहचान बनी है.
हाल ही में जब अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्
उमर फ़ारूक़ के मुताबिक़, "मुसलमान नेता अन्य दलों में भी हैं मगर वे पार्टी की लाइन और अनुशासन में बंधे रहते हैं. नेतृत्व की मर्ज़ी के बिना वे कुछ नहीं कहते. उदाहरण के लिए संसद में तीन तलाक़ पर बहस हुई थी तो मुसलमानों की इस संबंध में क्या चिंताएं हैं, उसे सिर्फ़ असदुद्दीन ओवैसी ने उठाया. मुस्लिम सांसद और भी थे. तो ज़ाहिर है कि जिन मुसलमानों ने उन्हें देखा होगा, वे प्रभावित हुए होंगे."
"ओवैसी की लोकप्रियता बढ़ाने का श्रेय टीवी को भी जाता है, जिसके माध्यम से मुसलमान देखते हैं कि असदुद्दीन क्या सोच रखते हैं और उनके मामलों पर पर क्या बात करते हैं."
षित फ़ैसला आया तो उससे असंतोष जताने वाले शुरुआती लोगों में असदुद्दीन भी थे. उन्होंने कहा था कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरह वो भी इससे संतुष्ट नहीं हैं.
र्टी और अन्य हिन्दुत्ववादी संगठनों का जवाब देने वाली शक्ति के रूप में देखते हैं.
एक पक्ष का कहना है कि वह लोगों की भावनाओं को भड़काते हैं जबकि उनके समर्थकों का कहना है कि वह तार्किक ढंग से मुसलमानों की समस्याओं पर बात करते हैं.
ना साधा है.
ममता बनर्जी और असदुद्दीन ओवैसी के बीच हुए शब्दों के इस आदान-प्रदान पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत के तौर पर भी देखा जा रहा है.
दरअसल, पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ने के ओवैसी के बयान से ममता बनर्जी की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक माना जा रहा है क्योंकि एआईएमआईएम ने पिछले एक दशक में हैदराबाद से निकलकर देश के अन्य हिस्सों में भी पैर पसार लिए हैं.
और प्रभाव बढ़ाने में अहम भूमिका रही है इसके अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की जो तेज़ी से युवा मुसलमानों के बीच लोकप्रिय हुए हैं. शायद यही कारण है कि चुनावों में बेशक समय है मगर ममता बनर्जी ओवैसी और उनकी पार्टी को हल्के में नहीं लेना चाहती.
बदल चुका है. बंगाल में ये बीजेपी को नहीं रोक पाए तो हमें ज़िम्मेदार मान रहे हैं."
मैं थैंक्यू कहना चाहूंगा."

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